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यक्ष प्रश्न: जब युधिष्ठिर ने अपने भाईयों के प्राण बचाने के लिए दिए बुद्धिमत्ता भरे उत्तर
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यक्ष प्रश्न: जब युधिष्ठिर ने अपने भाईयों के प्राण बचाने के लिए दिए बुद्धिमत्ता भरे उत्तर

Bhakti Dhaara: Exploring Hindu Dharma's essence Bhakti Dhaara: Exploring Hindu Dharma's essence

महाभारत केवल एक युद्ध की गाथा नहीं, बल्कि जीवन के गूढ़ रहस्यों का अद्भुत संग्रह है। इसमें धर्म, नीति, ज्ञान और दर्शन की ऐसी अमूल्य सीखें हैं, जो हर युग में प्रासंगिक रहती हैं। ऐसा ही एक गूढ़ प्रसंग है यक्ष प्रश्न, जब युधिष्ठिर ने अपने चारों मृत पड़े भाइयों को जीवनदान दिलाने के लिए यक्ष के कठिन सवालों के उत्तर दिए।

यह कथा केवल एक घटना नहीं, बल्कि जीवन का वह आईना है, जिसमें हम अपनी जिज्ञासाओं और अस्तित्व के गहरे प्रश्नों के उत्तर ढूंढ सकते हैं। आइए इस प्रसंग को विस्तार से समझते हैं।


जब प्यास ने पांडवों को मृत्यु के द्वार पर पहुंचा दिया

पांडव वनवास में थे। जंगल में घूमते-घूमते वे बेहद थक चुके थे और प्यास से व्याकुल हो गए। पानी की तलाश में युधिष्ठिर ने नकुल को जलाशय खोजने भेजा। कुछ ही देर में नकुल को एक सुंदर तालाब दिखा। उसकी चमकती जलधारा देखकर नकुल की प्यास और भी बढ़ गई।

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जैसे ही वह पानी पीने को झुका, अचानक एक गूंजती हुई आवाज़ आई—

“रुको! पहले मेरे प्रश्नों के उत्तर दो, फिर पानी पी सकते हो।”

लेकिन प्यास से बेचैन नकुल ने उस आवाज़ को अनसुना कर दिया और पानी पीते ही वह बेहोश होकर वहीं गिर पड़ा।

बहुत देर तक नकुल के न लौटने पर युधिष्ठिर ने सहदेव को भेजा। सहदेव ने भी वही गलती दोहराई और वही परिणाम हुआ। फिर अर्जुन और भीम भी गए, लेकिन उन्होंने भी यक्ष को नजरअंदाज कर दिया और वही हश्र हुआ।

अब युधिष्ठिर स्वयं तालाब के पास पहुँचे और अपने चारों भाइयों को मृत पड़ा देख स्तब्ध रह गए। तभी वह रहस्यमयी आवाज़ फिर से आई—

“यदि तुम अपने भाइयों को जीवित देखना चाहते हो, तो मेरे प्रश्नों के उत्तर दो।”

युधिष्ठिर ने धैर्य रखा और यक्ष के सभी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए तैयार हो गए।


यक्ष प्रश्न और युधिष्ठिर के उत्तर

1. जीवन का सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है?

युधिष्ठिर: प्रतिदिन अनेकों प्राणी मरते हैं, फिर भी जीवित लोग सोचते हैं कि वे अमर हैं। इससे बड़ा आश्चर्य और क्या हो सकता है?

2. सबसे बड़ा सुख क्या है?

युधिष्ठिर: अच्छा स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा सुख है।

3. सबसे बड़ा धन क्या है?

युधिष्ठिर: संतोष सबसे बड़ा धन है।

4. मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र कौन है?

युधिष्ठिर: धर्म ही मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र है।

5. संसार में सबसे पवित्र वस्तु कौन सी है?

युधिष्ठिर: माता का हृदय सबसे पवित्र है।

6. सबसे बड़ा धर्म क्या है?

युधिष्ठिर: अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है।

7. भाग्य क्या है?

युधिष्ठिर: हर कर्म का एक परिणाम होता है। यह परिणाम ही भाग्य कहलाता है।

8. व्यक्ति को मृत्यु के बाद कौन यातना देता है?

युधिष्ठिर: गुप्त रूप से किए गए अपराध व्यक्ति को मृत्यु के बाद भी यातना देते हैं।

9. ब्राह्मण कौन होता है?

युधिष्ठिर: जन्म से नहीं, बल्कि कर्म और आचरण से कोई ब्राह्मण बनता है।

10. सबसे बड़ा तप क्या है?

युधिष्ठिर: मन को वश में रखना ही सबसे बड़ा तप है।

11. सुख और शांति का रहस्य क्या है?

युधिष्ठिर: सत्य, प्रेम, क्षमा और सदाचार सुख और शांति के मूल कारण हैं।

12. कौन व्यक्ति मृत होते हुए भी जीवित माना जाता है?

युधिष्ठिर: जो कर्ज में डूबा हो और दूसरों पर निर्भर होकर जीवन व्यतीत कर रहा हो, वह मृत समान है।

13. जीवन का उद्देश्य क्या है?

युधिष्ठिर: जीवन का उद्देश्य आत्मज्ञान प्राप्त करना और मोक्ष की ओर बढ़ना है।


जब यक्ष ने दिया युधिष्ठिर को वरदान

युधिष्ठिर की उत्तर देने की क्षमता और सत्यनिष्ठा से यक्ष बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा—

“युधिष्ठिर, तुम्हारी सत्यता, धैर्य और धर्मबुद्धि से मैं बहुत प्रसन्न हूँ। मैं तुम्हारे सभी भाइयों को पुनः जीवनदान देता हूँ।”

यह कहते ही नकुल, सहदेव, अर्जुन और भीम फिर से जीवित हो गए।


इस कथा से क्या सीख मिलती है?

  • सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति हमेशा विजयी होता है।
  • संतोष सबसे बड़ा धन है, क्योंकि लोभ कभी समाप्त नहीं होता।
  • मृत्यु अटल सत्य है, इसलिए मनुष्य को सदा सत्कर्म करने चाहिए।
  • आत्मा अमर है, और जीवन का उद्देश्य आत्मज्ञान प्राप्त करना है।

महाभारत का यह प्रसंग हमें सिखाता है कि धर्म, सत्य और ज्ञान का महत्व कितना अधिक है। जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना बुद्धिमत्ता से करना ही सच्ची वीरता है।

ऐसी ही और भी आध्यात्मिक और प्रेरणादायक जानकारियों के लिए भक्ति धारा को फॉलो करें।

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