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भगवान श्रीकृष्ण के अनुसार कलियुग में धर्म के तीन स्तंभ होंगे नष्ट, मोक्ष का बचेगा केवल एक मार्ग
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भगवान श्रीकृष्ण के अनुसार कलियुग में धर्म के तीन स्तंभ होंगे नष्ट, मोक्ष का बचेगा केवल एक मार्ग

Bhakti Dhaara: Exploring Hindu Dharma's essence Bhakti Dhaara: Exploring Hindu Dharma's essence

भगवान श्रीकृष्ण ने गीता और अन्य धर्म ग्रंथों में कलियुग के बारे में जो भविष्यवाणियाँ की हैं, वे आज के समय में सच होती दिखाई दे रही हैं। कलियुग को अधर्म, स्वार्थ, लोभ और वासना का युग माना गया है। श्रीकृष्ण ने बताया कि इस युग में धर्म के चार स्तंभों में से केवल एक स्तंभ ही बचेगा, जो मोक्ष का मार्ग दिखाएगा।

धर्म के चार स्तंभ क्या हैं?

शास्त्रों के अनुसार धर्म के चार स्तंभ होते हैं:

  1. सत्य (Truth) – सच बोलना और सच्चाई पर चलना।
  2. तप (Austerity) – कठिन साधना और तपस्या करना।
  3. शौच (Purity) – शरीर और मन की पवित्रता।
  4. दया (Compassion) – जीवों पर करुणा और प्रेमभाव रखना।

श्रीकृष्ण ने कहा कि कलियुग में ये चार स्तंभ धीरे-धीरे नष्ट हो जाएंगे। सबसे पहले सत्य का नाश होगा, फिर तप और शौच नष्ट होंगे। केवल दया ही एकमात्र स्तंभ बचा रहेगा, जो मनुष्य को मोक्ष के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देगा।

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कलियुग में अधर्म का विस्तार

कलियुग में मनुष्य वासना, क्रोध और लोभ के वशीभूत होकर धर्म से दूर हो जाएगा। श्रीकृष्ण के अनुसार, मनुष्य भौतिक सुखों के पीछे भागेगा और आध्यात्मिक ज्ञान को भूल जाएगा।

गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है:

“काम एष क्रोध एष रजोगुण समुद्भवः।”

अर्थात्, काम (वासना), क्रोध और लोभ नरक के द्वार हैं, जो आत्मा के पतन का कारण बनते हैं। कलियुग में ये तीनों विकार अत्यधिक प्रबल होंगे और मनुष्य अधर्म की ओर अग्रसर होगा।

मोक्ष का एकमात्र मार्ग – भगवान का नाम स्मरण

श्रीकृष्ण ने कलियुग में मोक्ष का सबसे सरल मार्ग बताया है – भगवान का नाम स्मरण

श्रीकृष्ण कहते हैं:

“कलेर दोषनिधे राजन् अस्ति ह्येको महान् गुणः। कीर्तनादेव कृष्णस्य मुक्तसंगः परं व्रजेत्॥”

अर्थात्, कलियुग दोषों से भरा हुआ है, लेकिन इसमें एक महान गुण है कि केवल भगवान के नाम का कीर्तन करने से मोक्ष मिल सकता है।

कौन-कौन से नाम स्मरण करने चाहिए?

  1. हरे राम हरे कृष्ण
  2. ॐ नमः शिवाय
  3. श्रीराम जय राम जय जय राम
  4. श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी

कल्कि अवतार की भविष्यवाणी

श्रीकृष्ण ने यह भी कहा है कि जब-जब अधर्म अपनी चरम सीमा पर होगा, तब मैं स्वयं अवतार लेकर अधर्म का नाश करूंगा।

“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥”

कलियुग के अंत में भगवान श्रीकृष्ण कल्कि अवतार के रूप में प्रकट होंगे और अधर्म का नाश करेंगे। यह अवतार धर्म की पुनर्स्थापना करेगा और सत्ययुग की शुरुआत होगी।

कलियुग में धर्म के चार स्तंभों में से केवल दया (करुणा) का स्तंभ बचेगा। श्रीकृष्ण के अनुसार, भगवान का नाम स्मरण ही इस युग में मोक्ष का सबसे सरल मार्ग है। लोभ, वासना और क्रोध से दूर रहकर भक्ति के मार्ग पर चलना ही जीवन को सार्थक बना सकता है।


इस तरह की और आध्यात्मिक जानकारियों के लिए “भक्ति धारा” को फॉलो करें।

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