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चैत्र नवरात्रि 2025: नौ दिनों में जलाएं ये खास दीये, घर में आएगी सकारात्मक ऊर्जा और माँ दुर्गा की कृपा
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चैत्र नवरात्रि 2025: नौ दिनों में जलाएं ये खास दीये, घर में आएगी सकारात्मक ऊर्जा और माँ दुर्गा की कृपा

Bhakti Dhaara: Exploring Hindu Dharma's essence Bhakti Dhaara: Exploring Hindu Dharma's essence
चैत्र नवरात्रि 2025: नौ दिनों में जलाएं ये खास दीये, घर में आएगी सकारात्मक ऊर्जा और माँ दुर्गा की कृपा

चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म में एक पवित्र और शुभ पर्व है, जो माँ दुर्गा की आराधना और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने का विशेष अवसर लेकर आता है। साल 2025 में यह पर्व अप्रैल के पहले सप्ताह से शुरू होगा, और इन नौ दिनों में भक्त माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं। इस दौरान घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने और माँ की कृपा पाने के लिए दीपक जलाना एक प्राचीन परंपरा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि के हर दिन अलग-अलग प्रकार के दीये जलाने से विशेष फल प्राप्त होते हैं? आइए, इस लेख में हम आपको बताते हैं कि चैत्र नवरात्रि 2025 में नौ दिनों तक कौन-कौन से दीये जलाएं और उनके क्या लाभ हैं।


नवरात्रि में दीपक जलाने का महत्व

नवरात्रि के नौ दिन माँ दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित होते हैं। हर दिन एक विशेष देवी की पूजा होती है, और उनके लिए खास दीपक जलाना शुभ माना जाता है। ये दीये न केवल घर को रोशनी से भरते हैं, बल्कि नकारात्मक ऊर्जा को दूर करके सुख, शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दीपक जलाने से बुरी नजर, शत्रु बाधा, रोग और दरिद्रता जैसी समस्याएं भी खत्म होती हैं। तो चलिए, हर दिन के दीपक और उनके लाभों को विस्तार से जानते हैं।


पहला दिन: शैलपुत्री देवी के लिए घी का दीपक

नवरात्रि का पहला दिन माँ शैलपुत्री को समर्पित होता है। इस दिन गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है। घी का दीपक जलाने से घर में सकारात्मकता का संचार होता है, और यह आयु, स्वास्थ्य और मानसिक शांति को बढ़ाता है। इसे पूजा स्थान पर या घर के मुख्य द्वार के पास जलाएं। घी की सुगंध और उसकी पवित्रता माँ को प्रसन्न करती है।

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दूसरा दिन: ब्रह्मचारिणी देवी के लिए तिल के तेल का दीपक

दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। इस दिन तिल के तेल का दीपक जलाने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। यह नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है और मन में आत्मविश्वास बढ़ाता है। इस दीपक को घर की दक्षिण दिशा में जलाना चाहिए, क्योंकि यह दिशा पितरों से जुड़ी मानी जाती है।


तीसरा दिन: चंद्रघंटा देवी के लिए घी का दीपक

तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की आराधना की जाती है। इस दिन फिर से शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं। यह दीपक मन की चंचलता को शांत करता है और आत्मविश्वास को मजबूत करता है। इसे पूजा स्थल पर या तुलसी के पौधे के पास जलाना उत्तम माना जाता है। घी की पवित्र ज्योति माँ को अर्पित करने से घर में शांति बनी रहती है।


चौथा दिन: कूष्मांडा देवी के लिए सरसों के तेल का दीपक

चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा होती है। इस दिन सरसों के तेल का दीपक जलाएं। यह शत्रु बाधा और नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करता है। इसे घर के मुख्य द्वार पर या किसी पीपल के पेड़ के नीचे जलाना शुभ होता है। सरसों का तेल रोगों और गरीबी को दूर करने में भी मदद करता है।


पांचवां दिन: स्कंदमाता देवी के लिए कपूर युक्त घी का दीपक

पांचवें दिन माँ स्कंदमाता की आराधना की जाती है। इस दिन घी के दीपक में थोड़ा सा कपूर मिलाकर जलाएं। यह वास्तु दोष को दूर करता है और घर में शांति लाता है। इसे पूजा स्थान और रसोई में जलाना विशेष रूप से फलदायी होता है। कपूर की महक नकारात्मकता को भगाती है और माँ की कृपा को आकर्षित करती है।


छठा दिन: कात्यायनी देवी के लिए सिंदूर युक्त सरसों का दीपक

छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा होती है। इस दिन सरसों के तेल में थोड़ा सा सिंदूर मिलाकर दीपक जलाएं। यह वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाता है और प्रेम संबंधों को मजबूती देता है। इसे मंदिर में या घर के आंगन में जलाना चाहिए। सिंदूर माँ को प्रिय है और यह दीपक परिवार में खुशहाली लाता है।


सातवां दिन: कालरात्रि देवी के लिए नीम के तेल का दीपक

सातवें दिन माँ कालरात्रि की आराधना होती है। इस दिन नीम के तेल का दीपक जलाएं। यह बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है। इसे मुख्य द्वार, तुलसी के पास या पीपल के पेड़ के नीचे जलाना शुभ होता है। नीम का तेल रोगों और शत्रुओं से रक्षा करता है।


आठवां दिन: महागौरी देवी के लिए चमेली के तेल का दीपक

आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन चमेली के तेल का दीपक जलाएं। यह धन और समृद्धि को आकर्षित करता है। इसे माँ लक्ष्मी और माँ दुर्गा के चरणों में रखें। यह दीपक विवाह में आ रही बाधाओं को भी दूर करता है। चमेली की सुगंध माँ को प्रसन्न करती है।


नौवां दिन: सिद्धिदात्री देवी के लिए पांच तेलों का दीपक

नवरात्रि का अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। इस दिन घी, तिल का तेल, सरसों का तेल, नीम का तेल और चमेली का तेल- इन पांचों को मिलाकर एक दीपक जलाएं। इसे पूजा स्थान, तुलसी के पास और मुख्य द्वार पर जलाना चाहिए। यह सभी समस्याओं का समाधान करता है और माँ की कृपा से जीवन में सिद्धि प्राप्त होती है।


चैत्र नवरात्रि 2025 में इन नौ खास दीयों को जलाकर आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकते हैं और माँ दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं। हर दिन का दीपक एक नई आशा और समृद्धि का प्रतीक है। इन परंपराओं को अपनाकर आप न केवल अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं, बल्कि परिवार में शांति और समृद्धि भी ला सकते हैं। इस तरह की और जानकारियों के लिए “भक्ति धारा” को फॉलो करें।

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