पौष पुत्रदा एकादशी: संतान सुख और वंश वृद्धि के लिए विशेष व्रत
पौष पुत्रदा एकादशी हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। यह व्रत विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए शुभ है जो संतान सुख की कामना करते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार, इस व्रत को करने से न केवल संतान प्राप्ति होती है, बल्कि हर प्रकार की मनोकामना भी पूर्ण होती है।
इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। भक्त पूरे विधि-विधान से पूजा करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंदिरों में लक्ष्मी नारायण की विशेष आराधना की जाती है।
पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व
हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के रूप में मनाया जाता है। यह व्रत न केवल दंपतियों के लिए, बल्कि हर भक्त के लिए कल्याणकारी है।
इस वर्ष पौष पुत्रदा एकादशी कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, 10 जनवरी 2025 को यह पवित्र तिथि है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।
पौष पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
- धूप, दीप, पुष्प, और नैवेद्य अर्पित करें।
- भक्तिभाव से विष्णु सहस्रनाम या निम्न मंत्रों का जाप करें।
संतान प्राप्ति के लिए विशेष मंत्र
इन मंत्रों का जाप पुत्र सुख और वंश वृद्धि के लिए फलदायी माना गया है:
- अस्य गोपाल मंत्रस्य नारद ऋषि:
“अनुष्टुप छंद:, कृष्णो देवता, मम पुत्र कामनार्थ जपे विनियोग:।” - ऊँ कृष्णाय विद्महे दामोदराय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः।
- ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।
- क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नमः।
- ओम बाल शिवाय विदमहे कालिपुत्राय धीमहि तन्नो बटुक प्रचोदयात्।
संतान स्तोत्र
इस स्तोत्र का पाठ वंश वृद्धि के लिए विशेष रूप से किया जाता है:
नमोऽस्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च।
सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।।
गुरु दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।
गोप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मने।।
पौष पुत्रदा एकादशी का फल
- संतान सुख की प्राप्ति।
- परिवार में सुख और समृद्धि।
- वंश वृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा।
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह परिवार और समाज में सुख-शांति का प्रतीक भी है।
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