प्रभु श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु के आठवें अवतार, ने महाभारत के समय पांडवों को कलियुग से संबंधित पाँच भविष्यवाणियां बताईं। उन्होंने इस ज्ञान को साझा करने का तरीका भी बेहद रोचक रखा।
श्रीकृष्ण ने पांडवों को पांच अलग-अलग दिशाओं में जाकर अजीब घटनाओं का अवलोकन करने के लिए कहा। जब पांडव वापस लौटे, तो उन्होंने जो देखा और जो उत्तर मिले, वे कलियुग के प्रतीक थे। आइए जानते हैं उन भविष्यवाणियों को विस्तार से:
1. युधिष्ठिर ने क्या देखा?
युधिष्ठिर ने दो सूंड वाले हाथी को देखा।
श्रीकृष्ण का अर्थ:
कलियुग में राजाओं का स्वभाव ऐसा होगा कि वे एक बात कहेंगे और दूसरी करेंगे। वे जनता का दोहरे तरीके से शोषण करेंगे।
2. अर्जुन ने क्या देखा?
अर्जुन ने एक पक्षी को देखा, जो मांस खा रहा था और जिसके पंखों पर वेद मंत्र अंकित थे।
श्रीकृष्ण का अर्थ:
कलियुग में धार्मिक गुरु और पंडित दिखावटी होंगे। वे ज्ञान का प्रदर्शन करेंगे लेकिन सांसारिक सुखों की लालसा में डूबे रहेंगे। लोग दूसरों के धन और अधिकारों की इच्छा करेंगे।
3. भीम ने क्या देखा?
भीम ने एक गाय को देखा, जो बछड़े को जन्म देने के बाद उसे बार-बार चाट रही थी, यहां तक कि बछड़े को चोट लग गई।
श्रीकृष्ण का अर्थ:
कलियुग में माता-पिता अपने बच्चों से इतना अधिक प्रेम करेंगे कि उनका भविष्य और आध्यात्मिक विकास पीछे छूट जाएगा।
4. सहदेव ने क्या देखा?
सहदेव ने देखा कि चार कुंए पानी से भरे हुए थे, लेकिन बीच का कुंआ सूखा था।
श्रीकृष्ण का अर्थ:
कलियुग में अमीरों की संपत्ति बढ़ती जाएगी, लेकिन वे गरीबों की मदद नहीं करेंगे। वे अपने धन को केवल खुद पर बर्बाद करेंगे।
5. नकुल ने क्या देखा?
नकुल ने एक विशाल पत्थर को पहाड़ी से गिरते हुए देखा। बड़ा पत्थर छोटे पौधे द्वारा रुक गया, जबकि बड़े पेड़ उसे नहीं रोक पाए।
श्रीकृष्ण का अर्थ:
कलियुग में लोग सफलता पाने के लिए हर चीज को नष्ट कर देंगे। लेकिन उन्हें शांति केवल प्रभु के नाम का स्मरण करके ही मिलेगी।
श्रीकृष्ण ने इन प्रतीकों के माध्यम से पांडवों को बताया कि कलियुग में नैतिकता, सच्चाई और दया का पतन होगा। लेकिन जो प्रभु के नाम का स्मरण करेंगे, वे शांति प्राप्त करेंगे।