शनिवार को शनिदेव का दिन माना जाता है क्योंकि इस दिन के स्वामी ग्रह शनि हैं। शनि देव को लेकर कई भ्रांतियां और डर समाज में व्याप्त हैं। ज्योतिष शास्त्र में शनि को दुख का कारक बताया गया है, लेकिन वास्तव में वह न्याय के देवता हैं। शनि देव केवल उन्हीं को दंडित करते हैं जो अनुचित कार्यों में लिप्त रहते हैं। उनके न्याय का आधार व्यक्ति के कर्म होते हैं।
शनि के न्याय का महत्व
शनि देव आपके कर्मों का फल देते हैं। जो लोग सच्चाई और ईमानदारी से जीवन जीते हैं, उन्हें शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनके प्रभाव से ऐसे लोग फर्श से अर्श तक पहुंच सकते हैं। यही कारण है कि भगवान शिव ने उन्हें नवग्रहों का न्यायाधीश नियुक्त किया।
शनि देव की कृपा प्राप्त करने के उपाय
सच बोलें और सही कर्म करें
शनि देव सच बोलने वाले और किसी का दिल न दुखाने वाले लोगों पर प्रसन्न रहते हैं।माता-पिता का सम्मान करें
जो लोग अपने माता-पिता और बड़ों का आदर करते हैं, उन्हें शनिदेव का आशीर्वाद मिलता है।ईमानदारी और मेहनत
मेहनत करने वाले और किसी का हक न छीनने वाले लोग शनिदेव के प्रिय होते हैं।धार्मिक कार्य और भक्ति
हनुमानजी की भक्ति करने वाले भक्तों पर शनिदेव कभी क्रोध नहीं करते।गरीबों की सहायता करें
जरूरतमंदों की मदद करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।मांस और मदिरा का त्याग करें
शनि देव मांस और शराब का सेवन करने वालों को पसंद नहीं करते।
शनिदेव से जुड़ी पौराणिक कथाएं
1. सूर्यदेव और शनिदेव
शनि देव भगवान सूर्य और छाया के पुत्र हैं। एक बार सूर्यदेव ने शनिदेव को शाप दिया और उनके घर को जला दिया। तब शनिदेव ने तिल से सूर्यदेव की पूजा की, जिससे सूर्यदेव प्रसन्न हुए। तभी से तिल का उपयोग शनि और सूर्य की पूजा में किया जाने लगा।
2. हनुमानजी और शनिदेव
हनुमानजी ने शनिदेव का घमंड तोड़ा, जिसके बाद शनिदेव ने उन्हें वचन दिया कि वे उनके भक्तों को परेशान नहीं करेंगे। हनुमानजी की भक्ति करने से शनि दोष समाप्त हो जाते हैं।
3. श्रीकृष्ण और शनिदेव
शनि महाराज के इष्टदेव श्रीकृष्ण हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, जब कृष्ण का जन्म हुआ, तो शनिदेव को उनकी वक्र दृष्टि के कारण दर्शन की अनुमति नहीं मिली। दुखी होकर शनिदेव ने कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें दर्शन दिए और शनिदेव ने वचन दिया कि वे कृष्ण भक्तों को कष्ट नहीं देंगे।
4. पीपल का वृक्ष
शनिदेव का वास पीपल के वृक्ष में माना जाता है। एक असुर को पराजित कर ऋषि-मुनियों की रक्षा करने के बाद, शनिदेव ने वचन दिया कि जो लोग पीपल की पूजा करेंगे, उनकी रक्षा वे स्वयं करेंगे।
5. भगवान शिव और शनिदेव
भगवान शिव शनिदेव के आराध्य हैं। शिवजी ने शनि महाराज को आदेश दिया कि वे उनके भक्तों पर अपनी वक्र दृष्टि न डालें। इसीलिए शिवभक्त शनि के कोप से मुक्त रहते हैं।
निष्कर्ष
शनिदेव केवल दंड के देवता नहीं हैं, बल्कि वे न्याय और कर्म के प्रतीक हैं। उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए सच्चाई, ईमानदारी, और अच्छे कर्मों का पालन करना चाहिए। शनिदेव से भयभीत होने के बजाय उनके सिद्धांतों को समझकर अपने जीवन को सुधारें। शनिवार को उनके प्रति श्रद्धा और सेवा भाव दिखाने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।