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क्रोध को शांत करने का 2 मिनट का उपाय: एक अमूल्य जीवन पाठ
कहानी: सर्व निंदक महाराज और उनके अंतर्निहित पाठ

क्रोध को शांत करने का 2 मिनट का उपाय: एक अमूल्य जीवन पाठ

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Bhakti Dhaara: Exploring Hindu Dharma's essence Bhakti Dhaara: Exploring Hindu Dharma's essence

क्रोध एक ऐसी आग है, जो केवल हमें ही जलाती है और इसका नुकसान सबसे पहले हम खुद ही उठाते हैं। इसलिए, जीवन में क्रोध से जितना दूर रह सकें, उतना ही बेहतर होता है। क्रोध का न केवल मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, बल्कि रिश्तों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है।

यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है, जिसने अपने जीवन में क्रोध को नियंत्रित करने और संतुलन बनाए रखने की शक्ति सीखी, और यह सीख उसे अपने परिवार को बचाने में मदद करती है।

कहानी कुछ इस प्रकार है:

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एक युवक ने शादी के दो साल बाद व्यापार करने के लिए परदेश जाने का निर्णय लिया। उसने अपनी गर्भवती पत्नी को मां-बाप के पास छोड़ दिया और व्यापार के सिलसिले में विदेश चला गया। कई सालों तक उसने कड़ी मेहनत की और बहुत सारा धन कमाया, लेकिन फिर 17 साल बाद जब वह अपने परिवार के पास लौटने का सोचा, तो उसने एक अद्भुत अनुभव लिया।

जब वह जहाज में यात्रा कर रहा था, तो उसने एक दुखी व्यक्ति को देखा। उसने उस व्यक्ति से उदासी का कारण पूछा। व्यक्ति ने जवाब दिया कि इस देश में ज्ञान की कोई कद्र नहीं है और वह यहां ज्ञान के सूत्र बेचने आया था। सेठ ने सोचा कि इस देश में मैंने बहुत धन कमाया है, तो क्यों न इस व्यक्ति के ज्ञान के सूत्रों का आदर किया जाए।

व्यक्ति ने सेठ को पहला ज्ञान सूत्र दिया: “कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट रुककर सोच लें।” यह सूत्र बहुत महंगा लगा, लेकिन कर्मभूमि का सम्मान करते हुए सेठ ने इसे 500 स्वर्ण मुद्राओं में खरीदा।

जब वह अपने घर पहुंचा और पत्नी को आश्चर्यचकित करना चाहता था, तो उसने सीधा पत्नी के कमरे में जाने का फैसला किया। लेकिन जैसे ही उसने कमरे का दृश्य देखा, उसकी आँखों से खून उभर आया। पलंग पर उसकी पत्नी के साथ एक युवक सो रहा था। क्रोध से भरे सेठ ने सोचा कि वह दोनों को सजा देगा। लेकिन ठीक उसी समय, उसे वह ज्ञान सूत्र याद आया: “दो मिनट रुककर सोचें।”

यह सोचकर वह रुक गया और अपना तलवार पीछे खींच ली। एक बर्तन गिरने की आवाज़ से पत्नी की नींद खुल गई। जब पत्नी ने अपने पति को देखा, तो उसकी आँखों में खुशी झलक उठी। पत्नी ने युवक को उठाया और उसे कहा, “यह आपके बेटी है, जो मैंने बचपन से संतान की तरह पाला।” यह सुनकर सेठ की आँखों में आंसू आ गए और उसने अपनी पत्नी और बेटी को गले लगा लिया।

वह सोचने लगा कि अगर उसने उस ज्ञान सूत्र का पालन न किया होता, तो आज उसका परिवार नष्ट हो चुका होता। वह समझ गया कि ज्ञान ही सबसे कीमती है। ज्ञान और धैर्य से बड़ा कोई धन नहीं होता।

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इस कहानी से यह सीख मिलती है कि क्रोध और जल्दबाजी में लिए गए निर्णय जीवन में कई नुकसान पहुँचा सकते हैं। 2 मिनट का ठहराव और सोचने की शक्ति से हम अपने जीवन में शांति और संतुलन ला सकते हैं। ज्ञान ही हमारे जीवन को दिशा दिखाता है, और इसके बदले कीमती मुद्राएं भी मूल्यहीन हो सकती हैं।

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